Wednesday 16 April, 2008

कुछ लोग अभी भी साहिल से, तूफ़ान का नज़ारा करते हैं

मोईन अहसान जज़्बी की शायरी |
दूसरा शेर बहोत बढ़िया है

हम दहर के इस वीराने में, जो कुछ भी नज़ारा करते हैं
अश्कों की ज़बान मे कहते हैं, आहों से इशारा करते हैं

ऐ मौज-ए-बला, उनको भी ज़रा, दो-चार थपेडे हलके से
कुछ लोग अभी भी साहिल से, तूफ़ान का नज़ारा करते हैं

क्या जानिए कब ये पाप कटे, क्या जानिए वो दिन कब आए
जिस दिन के लिए, दुनिया में, क्या-कुछ न गवारा करते हैं

क्या तुझको पता, क्या तुझको ख़बर, दिन रात ख्यालों मे अपने
ऐ काकुल-ए-गेती, हम तुझको, दिन-रात संवारा करते हैं

Friday 11 April, 2008

आओ बच्चों तुम्हे दिखाएँ - चाचा चौधरी और राका

जी हाँ !! वही चाचा चौधरी जिनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है ....

क्या कहा आपने ?? ... आप चाचा चौधरी को नही जानते ... सच बोलिए ... अगर आपने चाचा चौधरी नही पड़ी,तो बचपन मे आपने किया क्या ???

ख़ैर कोई बात नहीं ... हम पहचान करवा देते हैं ...

ये हैं चाचा चौधरी और साबू -


(ctrl दबा कर क्लिक करने से तस्वीरें नई tab मे बड़ी हो कर खुलेंगी)
ये दोनों बहोत ही भले लोग हैं ... हमेशा दूसरों का भला करते हैं ... और भलाई करते-करते इनका कई मजेदार लोगों से मिलना होता रहता है ... जैसे की वैध चक्रमाचार्य

वैध चक्रमाचार्य एक बहोत ही पहोचे हुए बुज़ुर्ग हैं ... उन्हे जड़ी-बूटियों की बड़ी गहरी जानकारी है ... जब चाचा चौधरी उनसे मिलने पहोचे थे ... तब चर्क्रमाचार्य जी ने चाचा को एक ऐसा अदभुत अर्क दिखाया था जिसे पीते ही पालतू बिल्ली भी भेडिये जितनी बड़ी और ताकतवर हो जाती हैं -

सिर्फ़ इतना ही नही ... उस अर्क से तो बिल्ली अमर भी हो गई थी


वैसे भलाई की राह मे चाचा चौधरी को बुरे लोगों भी मिलते है ... इन्ही बुरे लोगों मे से एक था राका ... राका एक खतरनाक और अय्याश डाकू था ... पुलिस हमेशा उसके पीछे लगी रहती थी

वैसे तो राका पुलिस को चकमा दे कर भागने मे कामयाब हो जाता था

पर एक बार पुलिस ने अपना शिकंजा ऐसा कसा की राका की जान पर बन आई ... इसी मोड़ पर राका की किस्मत की उसने वैध चक्रमाचार्य का अर्क, ज़हर समझ कर पी लिया ... और वो बन गया ...

... खूंखार दरिंदा ... फिर उसने सिर्फ़ हिंदुस्तान ही नही बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को लल्कारा

इस मुश्किल मे दुनिया-वालों ने किसको याद किया ?? ... जी हाँ आपने सही पहचाना ... सिर्फ़ एक ही आदमी इस दुनिया को बचा सकता था - चाचा चौधरी

चाचा का दाहिना हाँथ है साबू - जब साबू को गुस्सा आता है तो पास के किसी ग्रह मे ज्वालामुखी फूट पड़ता है

तो क्या चाचा चौधरी ने दुनिया को बचा लिया ??? ... क्या साबू राका से जीत पाया ???

इन सवालों का जवाब मैं नही दूँगा ... जवाबों के लिए आपको पढ़नी पड़ेंगी

डायमंड कामिक्स ... क्योंकि

चुन्नू पढता डायमंड कामिक्स ... मुन्नी पढ़ती डायमंड कामिक्स ....

मज़ेदार ये डायमंड कामिक्स ... डायमंड कामिक्स ... डायमंड कामिक्स

Tuesday 8 April, 2008

पहली बात.. पहला परिचय

मैने सोचा कि इस ब्लाग के बारे में बताउं
अपरिचितों से इसका परिचय करवाउं

पहली बात पहले, इसे IE में देखें, firefox में नहीं
वरना बेमाने लगेंगी कितनी ही बातें कही

इस ब्लाग के पीछे नाम दो चार हैं
जिनमें कुछ समानताएं, मगर भिन्न भिन्न विचार हैं

हम एक दूसरे को कुछ दूर, कुछ करीब से जानते हैं
इस ब्लाग के जरिये, कुछ नई सीमाओं को छानते हैं

यहां कोई विषय निषेध नही, कोई सोच अधूरी नहीं
बातचीत का एक मंच है, कोई कहानी पूरी नही

अगर आपके मन में भी ईक खयाल है, जिसे आवाज़ की ़ज़रूरत है
हिन्दी से जुडा है, हिन्दी में लिखा है, बस परवाज़ की जरूरत है
मगर याद रहे, हिन्दी अब हिन्दी नही, हिन्दुस्तानी हो चुकी है
ना जाने कित्नी भाषाओं से मिल कर, अभिमानी हो चुकी है
इसलिये, भारत को जोड कर, भाषाओं को मोड कर, जो कहना है, कह डालो
मुद्दा कुछ भी हो, सन्जीदगी कैसी भी हो, हिन्दुस्तानी में कह डालो

maine socha ki is blog ke baare mein bataoon
aparichiton se iska parichay karwaoon

pehli baat pehle, ise IE mein dekhi, firefox mein nahi,
warna bemaane lagengi kitni hi baatein kahi

is blog ke peeche naam do chaar hain,
jinme kuch samaantayein, magar bhinn bhinn vichaar hain

hum ek doosre ko kuch door, kuch kareeb se jaante hain,
is blog ke raaste, ab hum kuch nayee seemaon ko chaante hain

yahan koi vishay nishedh nahi, koi soch adhoori nahi
baatcheet ka ek manch hai, koi kahani poori nahi

agar aapke man mein bhi ik khayal hai, jise awaaz ki jaroorat hai,
hindi se juda hai, hindi mein likha hai, bas parwaaz ki jaroorat hai
magar yaad rahe, hindi ab hindi nahi, hindustani ho chuki hai,
na jaane kitni bhashaon se mil kar, abhimaani ho chuki hai
isliye bharat ko jod kar, bhashaon ko mod kar, jo kehna hai keh daalo
mudda kuch bhi ho, sanjeedgi kaisi bhi ho, hindustani mein keh daalo...

Thursday 6 March, 2008

छोटी सी कोशिश

देवनागरी मे लिखने की एक छोटी सी कोशिश